लेखनी प्रतियोगिता -25-Mar-2022
भगवाँ या हिजाब
हिजाब हो या नकाब हो
या भगवाँ पहने साहब हो
सब बाहर का पोशाक है
ना भगवाँ गंदा है
ना हिजाब साफ है
यह तो सबके अन्दर बसने वाले
अपने-अपने इन्सां की बात है
कपड़ा, कपड़ा ही तो ठहरा
काला पहनो या पहनो
केसर के रंग-सा सुनहरा
तन डकने तक उसका साथ है
बाकी, नंगा जो आया है
नंगा उसके जाने का हिसाब है
काला दिल जिनका
सोच में भी उनके दाग़ है
बाकी, समझ सको तो समझो
अपने अन्तर्मन को बोलो
आम का हो या खास का
कपड़ा तन ढकने का लिबास है
कफ़न का कपड़ा देखो
है एक-सा रंग-रूप सबके लिए
और अन्तिम उसका ही तो साथ है।
Shrishti pandey
26-Mar-2022 08:17 PM
Nice
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Punam verma
26-Mar-2022 08:22 AM
Nice
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Abhinav ji
26-Mar-2022 07:45 AM
Very nice sir
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